11 Best Dialogues from Lord Rama in Ramayana TV Serial

Explore Lord Rama's moral and ethical teachings through his iconic dialogues, which continue to inspire and resonate with audiences worldwide.

   

Rama is one of the central and revered characters in the ancient Indian epic, the Ramayana. He is frequently represented as the personification of righteousness (dharma). His persistent dedication to ethical and moral beliefs serves as a timeless model for those trying to live virtuous lives. As the “Maryada Purushottam” or the ideal man, Rama is known for his qualities of compassion, humility, honesty, and courage. He is considered a role model for how one should conduct themselves in various life situations. Rama’s quotes are filled with moral and ethical wisdom, offering guidance on how to navigate life’s challenges while upholding principles of honesty, integrity, and righteousness. Let’s explore some of the wisest dialogues from Lord Rama in Ramayana TV Series in this article!

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1. प्रभु यदि रण में हमें कोई ललकारे तो क्षत्रिय 

धर्म के अनुसार हम उससे अवश्य लड़ेंगे 

चाहे वो स्वयं काल ही क्यों ना हो 

परंतु हम रघुवंशियों का यह भी धर्म है की हम 

गऊ, ब्राह्मण और स्त्री पर हाथ नहीं उठाते।

2. कोई किसी की मृत्यु का कारण नहीं होता 

काल स्वयं मृत्यु का कारण बना लेता है । 

कौनसी डाली ऐसी है जिसपर फूल खिला, 

फला और डाल से नहीं गिरा ।  

कौन सी जीवन ज्योति ऐसी है 

 जो प्रज्वलित हुई और भुझी नहीं । 

3. मैं, तुम, पृथ्वी पर जन्मा प्रत्येक जीव सब 

एक दिन काल के काल में चले जाएंगे । 

ये विधि का विधान है कि धरातल पर स्थित चल अचल  

सब का अंत एक ना एक दिन अवश्य है।

4. संसार में तीन प्रकार के प्राणी होते हैं, 

एक केवल कहते हैं, 

दूसरे कहते हैं और करते भी हैं, 

तीसरे केवल करते हैं उसे बखानते नहीं

5. जैसे मूर्खों के सामने विनय दिखाना और कुटिल के संग प्रीति करना व्यर्थ होता है

जिस प्रकार मोह ममता में फँसे हुए को ज्ञान का उपदेश देना और ऊसर धरती में बीज बोना विफल होता है

उसी प्रकार तुम जैसे अहंकारी के सामने राम की पूजा और विनय का कोई मोल नहीं पड़ा

   

6. समस्त देवी देवता और यहाँ के चर चर जीव इस बात के साक्षी रहें

की मेरे पास समस्त समुद्रों को सूखा देने की शक्ति होते हुए भी मैंने वरुण देवता का मान रखने के लिए

पूर्ण विनय और सच्चे हृदय से समुद्र की पूजा की है और सेना सहित पर जाने में इनसे सहायता माँगी है

परंतु इस शठ ने मेरा उपहास ही किया है

शास्त्र कहता हे जैसे केला काटने पर हाई फल देता है

उसी प्रकार नीच दंड देने पर ही झुकता है

अतः अब मैं ब्रह्मास्त्र का संधान करके इस समुद्र को पाताल तक सोख दूँगा

7. जिसके हृदय में कपट और अधर्म होता है

उसकी अवस्था तुम्हारे जैसी होती है

जिसे स्वर्ण लंका के राज सिंहासन पर बैठकर भी

जीवन की अपूर्णता का कांटा चुभ रहा है 

8. भरत हमारे पिता जाने से पहले ये आज्ञा दे गए हैं कि एक पुत्र वन में जाए तथा दूसरा राजा बने ।

उनकी इस आज्ञा का पालन करना ही हम सब का धर्म है।

9. धर्म व्यापार नहीं होता भरत जो वस्तुओं का अदल-बदल कर लिया जाए,

धर्म अति कठोर और व्यक्तिगत होता है। 

10. यदि मेरे लक्ष्मण को कुछ हो गया तो फिर आप लोग राम को भी जीवित नहीं पाएँगे ।

11. सौंदर्य चंद्रमा को छोड़ सकता है, 

हिमवान बिना बर्फ के हो सकता है, 

समुद्र अपनी सीमाओं का उल्लंघन कर सकता है 

लेकिन मैं कभी भी अपने पिता के दिए वचन को नहीं तोड़ सकता ।

these were some of the profound dialogues from Lord Rama from the Ramayana TV Series. As you can see, his words are full of morality and wisdom, and they teach us how to live a decent life. He is unquestionably one of those figures whose words may guide us in the correct direction through difficult times. 

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